कुछ यादे, कुछ बाते

दिल के किसी कोने मैं
कुछ यादे छुपी है।
आधी  अधूरी सी कुछ
बाते ताज़ी है।

कभी अकेले किसी
मक़ाम पर
दो पल रुकता हूँ।
झाक कर उन्हें देखता हूँ।
कभी होटों पे हसी
तो कभी आखों मे नमी
छोड़ जाती है वह

उनमे खोके मै खुद
खुदको  खोता हूँ।
पर खुदको खोके मै
उन पलों को फिरसे पाता हूँ।
कुछ लम्हों के लिए सही
उन्ही मे रहता हूँ।
उन्ही को जीता हूँ।

समय के  साथ तो
दुनिया बदली है।
दुनिया के लोग भी बदले है।
न बदली है तो वह यादे
न बदली है तो वह बातें 


दिल के किसी कोने मैं
कुछ यादे छुपी है।
आधी  अधूरी सी कुछ
बाते ताज़ी है।

-प्रतिक देसाई

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